आरक्षण पर एक चिन्तन

आरक्षण शब्द पर अक्सर लोगों में बहस होना आजकल आम बात हैं| ये मुद्दा आम जनता का नहीं अपितु सभी राजनीतिक पार्टियों का भी है,वो लोग जातिवाद के नाम पर वोट मांगकर सबकी एकता का बिखराव कर रहे हैं और हम जैसे लोग उनको अपना वोट देकर उनपर विश्वास जता रहे हैं! आजकल देखा जा रहा कि जिस जाति का भी व्यक्ति है वो अपने आरक्षण से खुश नहीं है उसे वो कम ही लगता है जिसके फलस्वरूप लगातार संघर्ष बढ़ता जा रहा हैं, वो चाहता है मेरे को और छूट मिलनी चाहिए, मैं पिछड़ी जाति में नही बल्कि एससी में योग्य हूँ| और एक यूनियन बनाकर अपना हक मांगने लगते है! अभी हाल ही में सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिये भी आरक्षण व्यवस्था प्रारम्भ की हैैं जिसमें ८ लाख सें कम आय के लोग भी १०% आरक्षण के हकदार होगें, उनको मात्र (ईडब्ल्यूएस) प्रमाणपत्र बनवाना होगा, और उसका प्रयोग करके आरक्षण लेना होगा! क्या ये सरकार की अच्छी पहल हैं सामान्य वर्ग के लिये? अगर अच्छी पहल है तो सरकार ने दोबारा इस प्रमाणपत्र बनवानें में आने वाली समस्याओं पर कभी विचार किया है ? आज भी ५०% से अधिक लोग ये प्रमाणपत्र बनवाने का सम्पूर्ण तरीका नही जानते हैं(ये मेरा खुद का सर्वे हैं)! उन्हें सरकार जागरूक क्यूं नही कर रही? उनपर दोबारा ध्यान क्यूं नहीं दिया जा रहा? एक सवाल और जह़न में आता हैं आजकल उत्तर प्रदेश सरकार की नीति को देखकर,(उन्होनें १७ जातियों को पिछड़े वर्ग से हटाकर एससी वर्ग में शामिल किया हैं हाल ही में),क्या यह उचित है??? एक तरफ आप कह रहे हो कि सबका विकास हो रहा हैं दूसरी तरफ उनका स्तर गिरा रहे हो,आदमी आगे बढ़ता है या पीछे पछड़ता है? क्या सोचकर सरकार ये कर रही है कही कोई और मकसद तो नही हैं! अब सवाल ये बनता है आरक्षण किन क्षेत्रों में दिया जाना उचित हैं और किन क्षेत्रों में नहीं,आईये थोड़ा अध्ययन करते है! १)-रक्षा:-आजकल के परिवेश को देखकर कोई देश किसी से कम नहीं है अगर रक्षा क्षेत्र में हम आरक्षण देगें,तो ऐसा तो हैं नहीं कि एससी और पिछड़े समुदाय के लोग आरक्षण से आकर ज्यादा बेहतर काम करेगें और जरनल वाला कम करेगा, तीनों का तो वही शरीर हैं फिर कोई कम अंक लाकर बेहतर क्यूं कहलाये? रक्षा क्षेत्र में आरक्षण कोई जरूरी नहीं हैं!(जहां तक मेरा मत हैं) २)-शिक्षा:-शिक्षा के क्षेत्र में अगर जो अध्यापक बनेगा वो एक योग्य व्यक्ति होना चाहिये, जिससे वो बच्चों का सर्वागीण विकास कर सकें! एक अध्यापक ५०% अंक लेकर पढ़ाता है और दूसरा ५५% लाकर पढ़ाता हैं, तो दोनों में कौन बढिया पढ़ायेगा ? आप बताये? तो यहाँ पर भी आरक्षण देना गलत हैं!! क्यूंकि इससे बच्चों के साथ खिलवाड़ होगा! ३)-बैकिंग एवं अन्य क्षेत्र:- अब बात बैकिंग क्षेत्र की करे तो वहां पर भी जो ज्यादा जानकारी रखता हो वही ग्राहकों को सन्तुष्ट कर सकता हैं और अच्छे तरीके से काम कर सकता है और देश को आगे ले जा सकता है! यहाँ तो आरक्षण की बात करना ही गलत होगा| (क्या आरक्षण शब्द ही हटा दिया जाये) अगर सही मायनों में देखा जाये तो वक्त आ गया है कि आरक्षण खत्म कर दिया जाये,मगर कुछ जगहों पर ये जारी रहे,तो एससी और ओबीसी समुदाय को इसका लाभ मिलता रहे! अब सवाल ये हैं कि आरक्षण किन जगहों पर मिले सबको, तो आरक्षण नौकरी में कम अंक से पास करके नहीं बल्कि उसके फार्म की फीस को कम करके दिया जाये, जो कि हो भी रहा है! बस इतना ही काफी है, अब पिछड़े और एससी एसटी समुदाय को ये समझना होगा कि वो माने हमें नौकरी का फार्म कम अंको से नही कम रूपयों से भरने दिया जा रहा हैं ये बहुत है और गर्व से अपना चयन करवाकर योग्य होने का सुबूत देना होगा कि जो कम अंकों से चयन होकर आने का दाग उनपर से हट सके!

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