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दोष

 नजरों का दोष क्यूं बताया जाये दिल किसी से क्यूं लगाया जाये? मुलाकात या फिर वो मुस्कुराहट गुनहगार इनमें से कोई ठहराया जाये! उम्र भर भुगतनी पड़ेगी सजा इसकी कदम जो भी हो सोच कर उठाया जाये! रिश्तें तो खराब हो रहे है मेरे भी सब क्यूं ना पीछा रिश्तेदारों से छुडाया जाये! सब तो करेगें सवाल तरह तरह के चलो विराम सवालों पर लगाया जाये! कबूल कर लेते है हम रिश्तें अपने  निकाह जल्द ही किसी से पढवाया जाये! बात ही करेगें फिर सब हमारे बारे में ये रिश्ता क्यूं चर्चा का विषय बनाया जाये! मै तो रूक जाता हूं समाज को देखकर सोचता हूं कोई गलत कदम ना उठाया जाये! 'ललित' खत्म करते है अब बातें अपनी मुद्दा ठीक ठाक कोई फिर उठाया जाये!