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अपना बना कर देखें

आओ फिर आपस में हाथ मिलाकर देखें जो बनी नहीं बात वो बात बना कर देखें! हर और हैं कोई ना कोई मुसीबत यहां चलो तूफां में भी कश्ती को तैरा कर देखें! साहिल पर पहुंच जायेगी अपनी नईया बस इक दूजे पर विश्वास जता कर देखें! ना मानी बात तो फिर पछताओगी तुम सोचा एक बार फिर से समझा कर देखें! 'ललित' को तो मिल रहे हैं बथेरे यहां पर पर सोचा क्यूं ना तुम्हे अपना बना कर देखे!           ललित 7754019301

शेर

मंगल को मैं सबकी शुक्र मनाया करता हूँ, और शुक्र को भी सब मेरी मंगल तो मांगें!                    ललित               7754019301
चित्र
ये कैफ़ तेरा कैसा मुझपर भारी हैं lalitsingh. com या फिर तेरे ही इश़्क की खुमारी हैं! एक भी मुक्कमल हुआ अपना सपना पूछों नींद से फिर क्यूं उससे की यारी हैं! क्यूं रहता हैं समुद्र खारा,पूछो उससे भी दरिया की निर्मल जल से यारी हैं! अंदाज ए गुफ्तगूं ऐसे की मेरे हाल पर जल्द ही इसी तर्न्नुम में तुमहारी बारी हैं! बुझा रहे हो आग,दिल की भी बुझा दो इस दिल में बस तेरी ही लपटें अब सारी हैं! याद तुम्हारी दून बन गयी कश्मीर बन गयी अब मुझपर तो तेरी ही हो रही बर्फबारी हैं! ज़माना क्यूं ना अब ललित खुदगर्ज समझें सबसे की दुश्मनी और तेरे से जो की यारी हैं! ललित 7754019301

बाकी हैं

शौक खत्म हो गये सिर्फ इच्छाएं बाकी हैं, जाने अभी और कितनी परीक्षायें बाकी हैं! पंख तो काट दिये हैं जमाने वालों ने सब अब तो पैदल ही मंजिल का यात्रायें बाकी हैं! कजा से पश-तर कुछ करके जाऊं मै यहां इसलियें श्रंगार के साथ अपनायी विधायें बाकी हैं! अभी अभी तो मिली हैं वो हमकों यहां पर वरना अभी तक तो मिली अन्य बालायें बाकी हैं! ललित मरनें लगा हैं ये सारा जमाना मुझपर वरना चांद की तो देखनी बहुत कलायें बाकी हैं!        ललित 7754019301