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गलती निकालों तो

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गलती निकालों तो सुधार कराओ, जीवन में किसी को ना उधार दिलाओं!! फायदा उठाते हैं यहां सब मजबूरी का, तुम तो सबसे इंसानियत दिखा जाओं! रूतबा अलग होता हैं सबका यहां पर, तुम भी अपने रूतबे को सलाम कराओं! लिख लिख कर भर दी होगी डायरियां, अब तो उनकों सबके सामनें ले आओं! माना कठिन हैं डगर बहुत यहां पर, मगर तुम कांटों  से भी निकल आओ! मरनें की जल्दी ना करना 'ललित' तुम, क्या पता दो चार साल और जी जाओं!