गलती निकालों तो सुधार कराओ, जीवन में किसी को ना उधार दिलाओं!! फायदा उठाते हैं यहां सब मजबूरी का, तुम तो सबसे इंसानियत दिखा जाओं! रूतबा अलग होता हैं सबका यहां पर, तुम भी अपने रूतबे को सलाम कराओं! लिख लिख कर भर दी होगी डायरियां, अब तो उनकों सबके सामनें ले आओं! माना कठिन हैं डगर बहुत यहां पर, मगर तुम कांटों से भी निकल आओ! मरनें की जल्दी ना करना 'ललित' तुम, क्या पता दो चार साल और जी जाओं!
प्यार से लोग नही अब बात करते है, किसी के पीछे नही वक्त बर्बाद करते है! अक्सर पड़ जाता है काम एक दूजे से, मगर क्यूं नही इसकी परवाह करते हैं! ख्याल आया अचानक हमकों उनका क्या वो भी हमको किया याद करते हैं? मालूम नहीं क्या सोचते है वो मुझको, हम आज भी उनका एहतराम करते हैं! कश्ती डूब रही है अब हमारी भँवर में, देखते है क्या रब इसे पार करते हैं? "ललित" तुझ जैसे तो है हजारों जमीं पर, मगर सब कहा आसमां की बात करते हैं!
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