संदेश

शुरूवात

 इश़्क की फिर शुरुवात हो रही है बातें करते करते रात हो रही हैं! अंजान है वो और मैं भी एकदम अभी हल्की सी पहचान हो रही हैं! सोचने बैठे थे उसके बारे में सुबह थोड़ी देर में देखा तो शाम हो रही हैं! सोचते है ना पड़े मोहब्बत में दोबारा मगर सुना है मेरी ही बात हो रही हैं! 'ललित' तो ढल जायेगा हर हाल में मगर वों ही तो नहीं तैयार हो रही हैं!
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मुसीबत

 जिन्दगी गुगली से फसाना चाहती है आगे बढ़ रहा हूँ पीछे लाना चाहती है कब कटेंगी ये मुसीबतें क्या मालूम  अभी पता नहीं कितनी दिखाना चाहती  है!

दोष

 नजरों का दोष क्यूं बताया जाये दिल किसी से क्यूं लगाया जाये? मुलाकात या फिर वो मुस्कुराहट गुनहगार इनमें से कोई ठहराया जाये! उम्र भर भुगतनी पड़ेगी सजा इसकी कदम जो भी हो सोच कर उठाया जाये! रिश्तें तो खराब हो रहे है मेरे भी सब क्यूं ना पीछा रिश्तेदारों से छुडाया जाये! सब तो करेगें सवाल तरह तरह के चलो विराम सवालों पर लगाया जाये! कबूल कर लेते है हम रिश्तें अपने  निकाह जल्द ही किसी से पढवाया जाये! बात ही करेगें फिर सब हमारे बारे में ये रिश्ता क्यूं चर्चा का विषय बनाया जाये! मै तो रूक जाता हूं समाज को देखकर सोचता हूं कोई गलत कदम ना उठाया जाये! 'ललित' खत्म करते है अब बातें अपनी मुद्दा ठीक ठाक कोई फिर उठाया जाये!
 चेहरे पढ़ने का हुनर जिस दिन से आया है,  उस दिन से हर शख़्स लगने लगा पराया है!

थकान

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 जिन्दगी के इस सफर पर मंजिल की पहचान नहीं, चलते रहना चाहता हूँ अभी लगी मुझे थकान नहीं!

Muktak

धर्म के नाम पर नही कोई विवाद करता हूँ, राजनीति में भी नही वक्त बर्बाद करता हूँ, मैं साया हूँ मोहब्बत का ये जानते है सब, मोहब्बत का ही तो मैं बस प्रचार करता हूँ!!